Bahut Door, Kitna Door Hota Hai
K**R
ठहराव
"बहुत दूर कितना दूर होता है" को मिलाकर मैंने मानव कौल की तीन किताबें पढ़ी हैं। ( तुम्हारे बारे में, ठीक तुम्हारे पीछे).मुझे हमेशा ही मानव जी की रचनाओं में एक ठहराव दिखता है जिसको पढ़ते वक्त आप अपने वर्तमान से उठ कर के उस किताब के साथ वहीं जाना शुरु कर देते हैं जहां मानव कौल आपको ले जाना चाहते हैं।जब मैं इनकी किताबों को पढ़ता हूं तो मैं उनमें कहीं डूब जाता हूं और यह डूबना मुझे घुटन से भरा हुआ नहीं बल्कि शांत सा तैरता हुआ दिखता है। अचानक पीछे से मम्मी की आवाज आती है मेरा ध्यान पढ़ने से टूटता है। तो मैं अपने आसपास एक नजर दौड़ाता हूं जिससे मुझे महसूस होता है कि मेरे आस-पास का वातावरण मुझसे पहले से भी ज्यादा अर्थ पूर्ण तरीके से कुछ कह रहा हो ठीक मानव कौल की किताबों की तरह।मानव अपने शब्दों में जितने सरल हैं उनकी सरलता से कही गई बातें उतनी ही गहरी हैं ! मानव की किताबें हमेशा ही आपको अपने आसपास की चीजों को महसूस करने और उन्हें जीने का एक नया नजरिया देंगी।."बहुत दूर कितना दूर होता है" एक यात्रा वृतांत और यह मेरे द्वारा पढ़े जाने वाला पहला यात्रा वृतांत है। इसको पढ़ते वक्त ऐसा लग रहा था जैसे लेखक के साथ मैं भी घूम रहा हूं। मै हर वो चीज महसूस कर रहा हूं जो लेखक महसूस कर रहा है। और मेरे ख्याल से जब कोई लेखक अपनी रचनाओं के साथ अपने पाठकों को जोड़ लेता है तो उस लेखक की लेखनी सार्थक हो जाती है।-पंकज
C**T
बहुत सुंदर | बहुत ख़ूब। बहुत उम्दा
बहुत सुंदर | बहुत ख़ूब। बहुत उम्दा।इस यात्रा वृत्तान्त को पढ़ते हुए ऐसा लगता है जैसे आप सचमुच यूरोप की यात्रा कर रहे हैं। मानव अपनी भावनाओं को शब्दों में ऐसे पिरोतें हैं मानो सब कुछ आपके साथ घटित हो रहा हो।मुझे मालूम नहीं था कि मानव इतने अच्छे लेखक हैं । मैंने लगभग पांच- छह बार मानव को अपने किराए के घर की बाल्कनी से नीचे सड़क पे टहलते हुए देखा है लेकिन कभी उनसे बात नहीं की। अगर मैंने ये किताब कुछ समय पहले पढ़ी होती तो मैं जब भी मैं मानव को अपने घर की बाल्कनी से नीचे सड़क पे टहलते हुए देखता तो मैंने ज़रूर उन्हें आवाज़ देकर रोकता और उन से मिलता और कहता कि " बहुत - बहुत धन्यवाद आपका मुझे यूरोप घुमाने के लिए" और अपने घर आने के लिए आग्रह करता और बीयर पीते हुए अपनी यूरोप यात्रा की यादें ताज़ा करते।मुझे ऐसा लगता है के यह किताब सबको पढ़नी चाहिए।
S**L
बहुत दूर कितना दूर होता है।
बहुत दूर कितना दूर होता है।लेखन कम एक यात्रा का वृतांत ज़्यादा है। और वही इस किताब को लेखन के शैली में बहुत आगे कर देता है। जितनी ईमानदारी से ये किताब लिखी गयी है, वो एक किताब को पाठक के सामने जीवित करने के लिए काफी है। मुझे मालूम है मानव सर ने अपने अंदर और भी यात्राओं के वृतांत छुपा रखे होंगे। अगर आपको जानना है कि 'बहुत दूर आखिर कितना दूर होता है, तो ये ज़रूर पढ़ें दोस्तों।लव यू मानव सर।
Z**I
अद्भुत यात्रा ऐसी ही होती है जो मैने इस पुस्तक मे की पढते पढते
इस यात्रा को पढने के बाद एक अलग ही एहसास हुआ ,मानो हर जगह मे लेखक मानव कौल के साथ हूँ और उनके आसपास ही खुद को देख पा रहा हूँ ।यह मेरी पहली हिंदी पुस्तक थी पर इस यात्रा वृतांत मुझेजिंदगी के कयी अलग -अलग एहसासो से अवगत करायावाकयी मे आप चाहते है कि एक सफर पर निकलना घर बैठे -बैठेतो मानव कौल जी की ये पुस्तक आपके एक लिये एक अदभुत विकल्प है ।मै मानव कौल जी लेखन का मुरीद हो गयाउनके लेखन को जितनी बार तारिफ उतना कम हैउनके शब्दों की जो पकड हैउसी कारण मै पहली बार कोई पुस्तक दो.दिन समाप्त कर पायाआभारमौरिश नागर
A**H
दूर उतना भी नहीं की वहां जाया न जा सकें, और पास इतना भी नहीं की पलट कर उसे देख सकें।
I am writing with a hope that Manav you will read it someday. It's my first read of your writings. Your writing is visual, which is what represents a good author. It has a soul in it. I read this book after listening to you reading from your books in "The slow interview". I also travel, not as much as you do, but those journeys, those travels made me relate more to your experiences. I wish you positive energy for your future writings. Peace.
Trustpilot
2 weeks ago
1 week ago